समिति की भविष्य की योजनाएं

     किसी भी समाज का विकास शिक्षा के वगैर संभव नही है और आज हमारा समाज एक बहुत बड़ी कुरीति से जकड़ चुका है । वह कुरीति है दहेज। दहेज रहित शादी कभी रंगवा जाति की पहचान होती थी जिसे आज हम छोड़ चुके हैं।

सन् 2017 में समिति द्वारा रंगवा दिवस के अवसर पर संकल्प लिया गया था कि-

1-  प्रत्येक गांव में स्वजातीय बच्चों के शिक्षा के विकास के लिए ट्यूटर रखा जाएगा तथा अपने बिरादरी के सीनियर कक्षाओं के छात्र जूनियर कक्षाओं के छात्रो को सप्ताह में कम से कम दो दिन मार्गदर्शन करेंगे।

2-  दहेज रहित शादी में हम सहयोग करेंगे। न दहेज लेंगे न देंगे। कहीं दहेज की सूचना मिलता है तो समिति के पदाधिकारियों को अवश्य सूचित करेंगे जिससे समिति के पदाधिकारी आवश्यक कानूनी कार्रवाई करें।

3- सामूहिक विवाह हेतु समिति द्वारा किए गए प्रयासों का हर तरह से समर्थन करेंगे।

सन् 2018 में समिति द्वारा रंगवा दिवस के अवसर पर निम्नलिखित दो योजनाएं बनाई ई थी:

  • 1- सामूहिक विवाह कराना
  • 2-रंगवा जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करना।

       उपरोक्त दोनों बर्षो के कुछ लक्ष्यों को हम अभी तक प्राप्त नहीं कर पाए हैं, जिसे जल्दी ही प्राप्त करने की कोशिश समिति द्वारा किया जा रहा है। जैसा कि आप लोग जानते हैं कि, अखिल भारतीय रंगवा सुधार समिति की चीर प्रतिक्षित योजना स्वजातीय सामूहिक विवाह का आयोजन प्रथम बार दिनांक 24.02.2019 को श्री चैन राम बाबा समाधि स्थल, सहतवार, बलिया में संपन्न कराया गया। इसमें दो जोड़ों की शादी कराया गया। समिति के तरफ से पलंग, अलमारी, बर्तन, पायल-बिछिया और कपड़ा आदि दिया गया। सामूहिक विवाह हर साल कराने की योजना है। 2020 मे सामूहिक विवाह कराने की योजना 24 मई को था परंतु वैश्विक महामारी कोरोना के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। विरादरी में सामूहिक विवाह से दहेज रहित शादियों का मार्ग प्रशस्त होगा और आर्थिक रुप से कमजोर अभिभावक भी ससम्मान अपने बच्चों की शादियां कर सकेंगे। सामूहिक विवाह के आयोजन से एक और समस्या का निराकरण होगा। सामूहिक विवाह में समस्त रंगवा बंधु सपरिवार इकट्ठा होंगे, इस अवसर को शादी योग्य युवक-युवतियों को देखने और उनके अभिभावकों को बात करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।

       अखिल भारतीय रंगवा सुधार समिति के प्रयासों के कारण रंगवा जाति को उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के वर्गीकरण की तीसरी सूची में रखे जाने की पूर्ण संभावना है। इसे यूं कहें कि पिछड़ा वर्ग को तीन श्रेणी में वर्गीकृत किया जा रहा है। 1- पिछड़ा वर्ग 2- अति पिछड़ा वर्ग 3- अत्यंत पिछड़ा वर्ग। अत्यंत पिछड़ा वर्ग को ही तीसरी सूची का नाम दिया गया है। जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पिछड़े वर्ग की कुछ जातियां ही अभी तक पिछड़ा वर्ग की सारी सुविधाओं का लाभ ले रही थी। कुछ अति पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों, जिसमे रंगवा जाति भी है, को  इस श्रेणी का लाभ नहीं मिल पाता था। अब रंगवा जाति को भी इस तीसरी श्रेणी में आने से सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। लेकिन हमारा प्रयास रहेगा कि रंगवा जाति को  अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल किया जाय। जिससे रंगवा जाति का भी उन्नयन का मार्ग प्रशस्त हो सके। इसके लिए हमे जितनी लड़ाईया लड़ना पड़े लड़ेगे। रंगवा जाति को अनुसूचित जाति मे शामिल कराने का आवेदन पत्र उत्तर प्रदेश सरकार के विचाराधीन है। यह बहुत बड़ा काम है और रंगवा जाति को  अनुसूचित जाति में शामिल हो जाने पर हमारे युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे तथा बिरादरी के सदस्यों को बहुत सारी सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। यदि रंगवा निवासित प्रत्येक क्षेत्र के सदस्यों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के विधायक और सांसद से रंगवा जाति के समर्थन में सरकार को संस्तुति पत्र भिजवाया जाय तो यह काम उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव, जो सन् 2022 मे होना है, से पहले तक संभव हो सकता है।

     पिछड़े वर्ग के अति पिछड़ी 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था, परंतु कुछ विवादों के कारण वह आदेश लागू नहीं हो पाया। उन सभी 17 जातियों और अनुसूचित जाति की श्रेणी में पूर्व मे शामिल सभी जातियों से रंगवा जाति की स्थित सभी क्षेत्रों (आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं शैक्षिक) में बदतर है। इसलिए रंगवा जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मांग न्यायोचित है।

      बहुत सारी जातियां जैसे यादव और मौर्या आदि अपने पैतृक व्यवसाय को अपनाकर भी आज विकसित जातियों की श्रेणी मे आ गयी है । इसलिए समिति की एक चीर प्रतिक्षित योजना, अपना पैतृक व्यवसाय “कपड़ा बुनना” को नये सिरे से प्रारंभ करने की है। समिति की योजना है कि रंगवा निवासित प्रत्येक क्षेत्रों मे हथकरघा (Powerloom) लगाया जाय। इससे हमारे विरादरी की बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा और विरादरी की पहचान मे भी यह कारगर साबित होगा।

      किसी भी समाज की उन्नति राजनीतिक हिस्सेदारी के बिना संभव नहीं है। सन् 2019 के तीसरे रंगवा दिवस पर हम योजना बनाए थे कि, आगामी होने वाले सभी चुनाव जैसे- ग्रामसभा, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में समिति रंगवा जाति का प्रत्याशी चुनाव में खड़ा करने हेतु विरादरी के सदस्यों को प्रेरित करेगी। समिति के आह्वान का असर ही था कि उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव 2021 में रंगवा निवासित लगभग सभी गॉंवों से रंगवा जाति के प्रत्याशी चुनाव में खड़े हुए।

      अतः रंगवा जाति के सभी सदस्य अखिल भारतीय रंगवा सुधार समिति के ऊपर लिखित सभी प्रयास मे अपना योगदान दें, जिससे रंगवा जाति के उन्नयन का मार्ग प्रशस्त हो सके और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हो सके।